मित्रों!

आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं।

बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए।


फ़ॉलोअर

शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

एक ग़ज़ल : गो धूप तो हुई है ....

एक ग़ज़ल : गो धूप तो हुई है.....

गो धूप तो हुई है , पर ताब वो नहीं है
जो ख़्वाब हमने देखा ,यह ख़ाब वो नही है
मज़लूम है कि माना ख़ामोश रहता अकसर
पर बे नवा नही है ,बे आब वो नही है
कुछ मग़रिबी हवाओं का पुर असर है शायद
फ़सले नई नई हैं ,आदाब वो नहीं है
अपने लहू से सींचा है जाँनिसारी कर के
आई बहार लेकिन शादाब वो नही है
एह्सास-ए-हिर्स-ओ-नफ़रत ,अस्बाक़-ए-तर्क-ए-उल्फ़त
मेरी किताब-ए-हस्ती में बाब वो नहीं है
इक नूर जाने किसका दिल में उतर गया है
एहसास तो है लेकिन क्यूँ याब वो नही है
ता-उम्र मुन्तज़िर हूँ दीदार-ए-यार का मैं
बेताब जितना ’आनन’ ,बेताब वो नही है


शब्दार्थ
ताब =गरमी/चमक/उष्णता
मजलूम = जिस पर जुल्म हुआ हो/पीड़ित/शोषित
बे-नवा = बिना आवाज़ का /गूँगा
बेआब = बिना इज्जत का
मगरिबी हवाएँ = पश्चिमी सभ्यता
जानिसारी =प्राणोत्सर्ग
आदाब =तमीज-ओ-तहज़ीब
शादाब = खुशहाली
एहसास-ए-हिर्स-ओ-नफ़रत ,अस्बाक़-ए-तर्क-ए-उलफ़त
= लालच और नफ़रत की अनुभूति और प्यार मुहब्बत के छोड़ने
भुलाने के सबक़/पाठ
मेरी किताब-ए-हस्ती = मेरे जीवन की किताब में
याब = प्राप्य/मिलता
मुन्तज़िर = इन्तज़ार में /प्रतीक्षा में
-आनन्द.पाठक-
08800927181

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें