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शुक्रवार, 7 मार्च 2014

बात गांठ न बांधे---पथिकअनजाना –509 वीं पोस्ट




 गर कोई इंसा पूछे रास्ता अपनी मंजिल का
तो देकर मान उसे रास्ता तुम सही बता देना
पूछे रास्ता फिर कहे वो कि तुम उसे पहुचा दो
परख लो दया के काबिल या षडयंत्र का हिस्सा
भावनाऔ दरियादिली पर काबू शंकित हो तो
यार देर करो अविलम्ब  ही उसे भगा देना
परिश्रम उसके लिये क्यों हो जो इशारा न साधे
ज्ञान तुम्हारा व्यर्थ गर मेरी बात गांठ न बांधे
पथिक अनजाना




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